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Stranger Thing- a spirit ? in Hindi

November 24, 2022 | by storykars

stranger thing- a spirit ?

STRANGER THING

STRANGER THING in Hindi एक अजीब सी आपबीती है । एक ऐसी घटना जिसमें कोई नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन फिर भी यह एक डरावना अनुभव था ।

 

एक सज्जन जिन्होंने कुछ पारलौकिक महसूस किया । A stranger thing  जो उन्होंने अपने रूटीन लाइफ में कभी भी नहीं देखी थी !

 

जो कुछ भी आप सामान्य रूप से देखते रहते हैं वह अजीब नहीं है। मतलब कि कुछ ऐसा जो न पहले देखा हो और न जिसकी कल्पना भी की हो !

 

वह भूत , प्रेत जो कुछ भी था, लेकिन एक सामान्य इन्सान बिल्कुल नहीं था । it was a completely satranger thing !

 

पढ़िए इस आपबीती को –

 

मैं एक सच्चा वाक़या आप लोगों के साथ बाँटना चाहूँगा जिसका मैं खुद अकेला ही गवाह हूँ ।

 

तो बात क़रीब आज से आठ या नौ साल पुरानी है ।

 

जब मैं हल्द्वानी जो कि उत्तराखंड में स्थित है में रहा करता था तो काम के सिलसिले में मेरा हर शनिवार की रात को दिल्ली जाना होता था  ।

 

 

दिल्ली में एक होटेल महारानी लॉज पर रुकना होता था ।

 

अब क्योंकि मैं हर शनिवार जाता था तो ज़ाहिर सी बात है होटेल के मालिक से भी अच्छी पहचान हो गयी थी ।

 

हल्द्वानी से निकलते समय मैं दिल्ली के उस होटेल पर फ़ोन कर देता था कि मैं रात को या सुबह इतने बजे पहचूँगा तो वो मेरे लिए रूम बुक कर देते थे ।

 

अब आते हैं असली कहानी पर जिसका उपरोक्त बातों से कोई लेना देना नही है सिवाय मेरे दिल्ली आने जाने से ।

 

तो ऐसे ही एक बार मैं दिल्ली से लौट रहा था ।

 

सामान्यतः मैं शनिवार कि रात को जाकर इतवार को दिन में काम निपटा कर फिर इतवार की रात ही वापसी करता था ।

 

इस बार  भी इतवार की शाम पाँच बजे क़रीब काम ख़त्म होने के बाद मैं हल्द्वानी को निकला।

 

लेकिन  रास्ते में कई जगह जाम था । जाम  के कारण मैं क़रीब रात को रामपुर क्रॉस करके मैंने अपनी कार जंगल के किनारे पर रोकी और पानी की बॉटल ले कर कार से बाहर निकला ।

 

घड़ी पर समय देखा तो रात्रि के डेढ (१:३०) बज रहे थे ।

 

कार से बाहर निकलकर मैंने पानी पिया और मुँह पर भी कुछ पानी के छींटे मारे ताकि नींद ना आये और वहीं कार के आस पास घूमने लगा ।

 

क्यूँकि रोड के दोनो ओर जंगल था तो मैं अपनी बायीं तरफ़ के जंगल कि तरफ़ देखने लगा ।

 

मैंने देखा मुझसे क़रीब पाँच फ़ीट की दूरी पर एक आदमी जैसा कुछ खड़ा था , हालाकि वो stranger thing क्या थी, यह कहना मुश्किल है क्योंकि इंसान ऐसे होते ही नहीं हैं ।

 

उसके आगे एक हैंडपंप भी लगा हुआ दिख रहा था ।

 

वो व्यक्ति धोती पहने हुए था और अपने पैरों को बारी बारी से उठाता और फिर ज़मीन पर पटक रहा था।

 

मैं उसे देखने लगा और वो वैसे ही करता रहा और उस आदमी की लम्बाई इतनी थी कि मैं चाहकर भी उसका चेहरा नही देख पा रहा था ।

 

हैंडपंप ज़मीन से क़रीब तीन फ़ीट की ऊँचाई होगी ही, जैसा कि आमतौर पर होती ही है, लेकिन जो बात खून सर्द कर देने वाली थी, वह थी उस आदमी की उंचाई !

 

उस आदमी के घुटने उससे भी क़रीब तीन या चार फ़ीट लम्बे थे !  मैं मुँह ऊपर करके उसका चेहरा देखने की कोशिश करता रहा पर उसकी कमर तक ही मैं देख पा रहा था ।

 

मतलब दस बारह फ़ीट से लम्बे तो उस stranger thing की टांगे ही थी ! मैं बहुत देर तक देखता रहा ..अचानक न जाने मुझे क्या सूझा कि मैं उसको बोला-

 

“ तू भूत है तो आजा , है हिम्मत तो आ ….. कुछ अपशब्दों का भी उपयोग किया कि तू भूत है तो …….. मुझसे बात कर या मेरी बात का जवाब दे ।

 

मैं यही बोलता रहा ।

 

क़रीब आधे घंटे तक लगातार यही चलता रहा । मैं ऐसा ही बोलते रहा और वो आधे घंटे तक पैर ही पटकते रहा ।

 

मानो, वह मुझे सुन ही न पा रहा हो । आप सोच कर देखिये कि ऐसी कोई stranger thing रात को घने जंगल में आपको अचानक दिखे तो आपको क्या फील होगा ?

 

फिर मैं कार में बैठा और कार स्टार्ट की और चल दिया हल्द्वानी को ।

 

चार बजे के आसपास मैं हल्द्वानी पहुँचा हूँगा फिर मैं कमरे में जा कर सो गया और सुबह आठ बजे क़रीब उठा और माँ को फ़ोन किया ।

 

माँ हल्द्वानी में नहीं रहती थीं ।

 

वो बागेश्वर में रहती थीं ।

 

तो उनको बताया कि मम्मी कल रात ऐसा ऐसा हुआ और ये सब देखा मैंने तो माँ ने मुझे बहुत डाँटा और बोली कि किसी का अपमान नही करना चाहिए ।

 

अगले शनिवार जब मैं दिल्ली को गया ,तो उसी जंगल के पास मैंने अपनी कार रोकी।

 

वह ठीक वही जगह तो नही होगी पर मैं नीचे उतरा और हाथ जोड़कर माफ़ी माँगी कि भाई तू जो भी था मैं माफ़ी चाहता हूँ अपने उस दिन के व्यहार के लिए।

 

और दिल्ली की तरफ़ रवाना हो गया ।

 

इस कहानी में बार बार उसे stranger thing कहा गया है क्यूंकि वह कोई एलियन था या कोई भूत या मसान- यह तो कहा नहीं जा सकता ।

 

लेकिन  वह stranger thing जो भी थी , उसने उस व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया यह सबसे बड़ी गनीमत रही । 

 

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