
क्या Evil Spirit होती है ?
क्या Evil spirit (प्रेतात्मा) का अस्तित्व होता है ? Evil spirit (प्रेतात्मा) से मिलने पर क्या होता है ? Evil spirit (प्रेतात्मा) दिखने में कैसी होती हैं ?
Evil spirit (प्रेतात्मा) के विषय में ऐसे सवाल हम सभी के मन में कभी न कभी आते हैं । यह जिज्ञासा लगभग सभी को छूती है और इनके जवाब भी लोगों के अनुभव और जानकारी के हिसाब से अलग-२ होते हैं । लेकिन क्या हो कि किसी इन्सान की किसी Evil spirit (प्रेतात्मा) से केवल एक मुलाकात उसे जीवन भर की एक ऐसी दुखद याद दे जाए, जिसका बोझ उसे जीवन भर उठाना पड़े ?
जमुना और उसके पति
वीरेन्द्र बाबू और उनकी पत्नी जमुना के ब्याह को दो वर्ष व्यतीत हो चुके थे । वीरेन्द्र बाबू पेशे से सरकारी मास्टर थे । शादी के करीब डेढ़ साल बाद वीरेन्द्र बाबू का प्रोमोशन हो गया और अब वो बन गए हेड मास्टर ।
लगभग इसी समय जमुनादेवी और वीरेंद्र्बाबू की पहली संतान का जन्म हुआ ।
करीब छः माह बाद वीरेन्द्र बाबू का ट्रांसफर सुजानपुर नाम के दूर स्थित गाँव में हो गया । दोनों पति पत्नी और उनका 6 माह का बच्चा सुजानपुर आ गये । वीरेन्द्र बाबू स्कूल के हेड मास्टर थे और जाहिर सी बात है कि परिवार के साथ उस गांव में रहने का प्रबंध सबसे पहले करना था ।
थोड़ी दौड़-धूप के बाद वीरेंद्र बाबू को सुजानपुर में रहने के लिए जो ठिकाना मिला वह एक काफी पुराना सा दिखने वाला एक कच्चा मकान था । उसी को किराए पर ले लिया । इस मकान में सालों से कोई रह नहीं रहा था, यहाँ तक कि जिनसे यह मकान किराये पर लिया था, वे भी ढाई सौ किलोमीटर दूर किसी और शहर में रहते थे ।
मकान मालिक ने भी किसी के कहने पर केवल संपत्ति बनाने की गरज से यह मकान ले कर डाल दिया था ।
लेकिन इस मकान के बारे में कुछ अजीब था । स्थानीय लोगों का विश्वास था कि इस घर में प्रेतात्माओं का निवास है । हेडमास्टर साहब के साथी मास्टरों और लोकल स्टाफ के लोगों ने हेड मास्टर साहब को इस मकान को किराए पर लेने से साफ साफ़ शब्दों में मना किया ।
जब वीरेंद्र बाबू ने इसका कारण जानना चाहा तो मालूम हुआ कि इस मकान में बरसों से किसी मसान का साया है । किसी किसी ने बताया कि यहाँ पर तो प्रेत बाधा है ।
वीरेंद्र बाबू ठहरे कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़े हुए साइंस ग्रेजुएट और मुकम्मल तौर पर वैज्ञानिक सोच के आदमी, उन्हें यह सब बातें कुछ अजीब तो लगीं। लेकिन फिर उन्हें यह ख्याल भी आया कि सुजानपुर जैसे देहाती इलाके में जब कोई मकान इतने लम्बे समय से खाली पड़ा हो, तो ऐसी कहानियां बन जाना कोई बड़ी बात तो नहीं है ।
उन्होंने मकान में शिफ्ट न होने की सलाह देने वाले शुभचिंतकों से जब पूछते कि आपने इस मकान में भूत या मसान को अपनी आँखों से देखा है, तो उन्हें कोई जवाब न सूझता ।
लेकिन कुछ स्थानीय लोगों नें उन्हें यह जरूर बताया था कि इस मकान में एक औरत रहती थी । पति या बाल बच्चे उसके थे नहीं । स्वभाव से बहुत झगड़ालू थी। गाँव के लोगों का मानना था कि वो कुछ टोना-टोटका करती थी इसीलिए उधर अपने बच्चों को नहीं जाने देते थे । एक दिन अचानक ही वह अपने इसी घर में मरी पड़ी मिली थी ।
इस वाकये में एक बात बहुत गलत हुई । वीरेन्द्र बाबू ने इन सारी अफवाहों के बारे में जमुना देवी को कुछ बताना या उनसे कोई राय लेना जरूरी नहीं समझा । वीरेन्द्र बाबू की पत्नी जमुना देवी स्वयं ग्रामीण इलाके से आती थीं और बहुत अधिक पढ़ी-लिखी भी नहीं थीं । सो वीरेन्द्र बाबू ने सोचा कि अगर जमुना को ये सब बातें बता दीं तो वह कहीं शुरू से ही वहम में न पड़ जाए ।
तो इस तरह से दोनों पति-पत्नी अपने छः माह के बच्चे के साथ उस घर में अंततः शिफ्ट हो ही गए । लेकिन मकान में शिफ्ट होने के कुछ समय बाद से ही जमुना देवी को, जब भी वह अकेली होती थीं तो उन्हें एहसास होता था कि जो घर की ऊपरी भाग है उसमें कोई चलता फिरता रहता है ।
ऊपर के हिस्से में बराबर कुछ आवाजें सी आती रहती थीं पर जमुना देवी कभी सोचती कि कोई बिल्ली होगी, कभी सोचतीं कि ऐसे ही कुछ होगा मुझे भ्रम हो रहा है । अतः वह उस चीज को ध्यान नहीं देती थी ।
एक बात यह भी थी कि जमुना देवी अपने पति का सहयोग करना चाहती थीं । उन्हें इस गाँव में आये कुछ ही दिन हुए थे अतः ऐसी बातें बताकर वे अपने पति पर कोई बोझ नहीं डालना चाहती थीं ।
That Evil Spirit – वह प्रेतात्मा
जिस दिन यह अनहोनी घटी उस दिन वीरेन्द्र बाबू को किसी दूसरे गांव काम से जाना था। अतः सारी तैयारियाँ करने के लिए और वीरेन्द्र बाबू के लिए टिफिन तैयार करने के लिए जमुना देवी सुबह 5:00 बजे उठीं ।
जैसे ही वो किचन में पहुंची तो देखती है कि एक महिला चूल्हा जला रही थी । भरे-मजबूत बदन की उस महिला के सर के बाल पूरी तरह से खुले हुए थे और आँखे एक टक चूल्हे को देख रहीं थीं । चूल्हे से अच्छी-खासी करीब 2 फीट ऊंची लपटें उठ रही थीं । वह महिला अपने एक हाथ से तो चूल्हा जला थी और उसने अपना दूसरा हाथ लपटों के बीच डाल रखा था ।
जमुना देवी खुद गाँव की पृष्ठभूमि से थीं, इस किस्म की कहानियां उन्होंने सुनी तो बहुत थीं लेकिन ऐसा कुछ देखा पहली बार ही था । पहले तो जमुना देवी को लगा कि उन्हें चक्कर से आ जाएंगे । लेकिन जैसे-तैसे अपने आप को सम्हालते हुए, बिना अपना डर दिखाए उन्होंने उससे सवाल किया- “कौन हो तुम ? यहाँ मेरी रसोई में ये सब क्या कर रही हो ? ”
वह महिला बोली – यह मेरा ही घर है ! मैं अपने घर में कहीं पर भी घूमू, कहीं पर भी रहूं , तू कौन होती है मुझसे सवाल करने वाली ?
जमुना ने हिम्मत जुटाकर कहा – “अभी हमने इसे किराए से लिया है इसलिए तुम यहां नहीं रह सकती यह हमारा हुआ ।”
अब उस औरत ने मुंह घुमाया! बोली अच्छा यह तुम्हारा है ?
मैं इस घर की मालकिन हूँ। और तुम ध्यान से सुनो – यह घर कल के कल ही खाली कर दो वरना तुम्हारा तुम्हें नुकसान उठाना पड़ेगा ।
“लेकिन ..मेरे पति ने अभी किराया दिया हुआ है.. हम एकदम से कहाँ जाएँ ।”
महिला ने पूछा -अच्छा क्या करते हैं तुम्हारे पति ?
जमुना देवी – वो यहीं के स्कूल में हेड मास्टर हैं ।
महिला-और कौन कौन है ?
जमुना-और एक बच्चा है 6 महीने का
महिला :-अच्छा !
और बस ! जैसे ही उस महिला ने “अच्छा !” बोला वैसे ही एकदम से आग भी बुझ गई और वह औरत भी अचानक गायब हो गयी !
जमुना वहीं बेहोश होकर गिर गई ।
वीरेन्द्र बाबू जो घर के निचले हिस्से में ही थे, उन्होंने ध्यान दिया कि काफी देर से जमुना की कोई आवाज ही नहीं आयी है ।
उन्होंने अपनी पत्नी को पुकारा – “ जमुनाSSS”……“जमुनाSSSSS….” – वीरेंद्र बाबू ने जमुना को आवाज लगा कर पुकारा ।
जब कोई प्रत्युत्तर नहीं मिला तो वे ऊपर गए और वहाँ देखा कि जमुना बेहोश होकर फर्श पर गिरी हुई है । वीरेन्द्र बाबू ने उनके मुंह पर पानी छिड़का । जमुना को होश आया । जमुना के हाथ पैर ठंडे हो रहे थे । पति को अपने पास देखकर उसकी घबराहट कुछ काबू में आयी , लेकिन वो रोने लगी ।
वीरेन्द्र बाबू ने जमुना को दिलासा दी और पूछा कि बात तो बताओ ? आखिर हुआ क्या था ? जमुना ने वीरेन्द्र बाबू को पूरी घटना का विवरण बताया ।
वे लोग फ़ौरन बच्चे के पास भागते हुए नीचे आये । अब तक सूरज भी निकल आया था । बच्चे को देखा, तो पाया कि वह बच्चा बुखार में तप रहा था ।
वीरेन्द्र बाबू और जमुना तुरंत ही बच्चे को लेकर उस मकान से चल दिए ।
उस मकान से कुछ एक –आध किलोमीटर के फासले पर ही वीरेन्द्र बाबू के स्कूल के एक बुजुर्ग चपरासी रहते थे । उन्हें साथ लिया और पूरी घटना बताते हुए पड़ोस के गाँव चल पड़े क्योंकि उस गांव उस समय कोई डॉक्टर नहीं था । गाँव के सभी लोग अपने इलाज के लिए पडोसी गाँव के डॉक्टर पर ही निर्भर थे ।
डॉक्टर को सुजानपुर लाते-लाते दोपहर हो गयी । जमुना उन्ही चपरासी महोदय के घर पर ही बच्चे के साथ ठहर गयी थी ।
डॉक्टर ने बच्चे की जाँच करके वीरेन्द्र बाबू से कहा कि बिना एक सेकेण्ड भी गवाएं आप इसे तुरंत शहर के अस्पताल ले जाएं ..बच्चे की नाड़ी डूब रही है ।
शहर के अस्पताल में बच्चे को दाखिल कराया गया । तीन दिन बाद बच्चे की मौत हो गई ।
वीरेन्द्र बाबू और जमुना की पहली संतान, उनका बच्चा अब उनके साथ नहीं था ।
भारी मन से उन्होंने उस घर को छोड़ दिया और यह कहानी उनके साथ हमेशा के लिए जुड़ गई ।
(यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है । पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं )
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