रत्ना
November 6, 2022 | by storykars

रत्ना के पिता गरीब थे । लेकिन रत्ना को गहनों का बहुत शौक था, खासकर सोने के जड़ाऊ कंगन पहनने का…….
राजस्थान के एक गांव में एक गरीब किसान था श्यामू । उसका एक बेटा था कर्मा । कर्मा अपने माता-पिता के साथ दिन-रात खेत में कड़ी मेहनत करता, तब जाकर घर का गुजारा होता था।
कर्मा अब युवा हो चला था। उसके पिता को कर्मा के ब्याह की चिंता हुई । उसने पड़ोस के गांव के किसान की बेटी रत्ना से कर्मा का विवाह कर दिया ।
रत्ना के पिता और ससुर दोनों गरीब थे । गहनों के नाम पर रत्ना को गले की हल्की-सी सोने की चेन मिली। रत्ना को गहनों का बहुत शौक था, खासकर सोने के जड़ाऊ कंगन पहनने का।
विवाह के बाद रत्ना ससुराल आ गई । शुरू में तो कुछ दिनों तक उसे सब ठीक लगा । लेकिन धीरे-धीरे उसे लगा-‘यहां सब जरूरत से ज्यादा मेहनत करते हैं । फिर भी गरीब हैं । ससुर खेती में लगे रहते हैं। सास भी सारा दिन काम में लगी रहती हैं । कर्मा सुबह मुंह अंधेरे घर से निकलता और शाम ढलते लौटता है।
कुछ दिनों बाद सास ने रत्ना से कहा- “आज से तुम भी हमारे साथ बाहर काम पर चलोगी ।” उसी दिन से रत्ना भी अपनी सास के साथ पानी भरने दूर के गांव में जाने लगी।
एक दिन रत्ना कुएं से पानी भर रही थी । वहां गांव की अन्य स्त्रियां भी मौजूद थीं । उनमें से एक स्त्री के हाथों में सोने के चमचमाते हुए कंगन थे। वह बोली- “पिछले महीने मेरे पति के खेतों में खूब फसल हुई । मंडी में अनाज अच्छे दाम पर बिका। पति ने खुश होकर मेरे लिए ये सोने के कंगन बनवा दिए।”
यह सुन रत्ना अपनी कलाई को बार-बार देखने लगी । उसकी कलाई में दो-चार चांदी व पीतल की हल्की चूड़ियां थीं। वह उदास हो गई । वह सोच रही थी- ‘काश ! मेरा विवाह भी अमीर घर में हुआ होता।’ यह सोच उसका मन उचट गया।
रत्ना ने अगले ही दिन सास से बाहर जाने के लिए मना कर दिया । उसने कहा- “मैं घर का काम देखूगी।” उसकी सास ने रत्ना की बात मान ली ।
एक दिन रत्ना ने बक्से में रखे कपड़ों को धूप दिखाने की सोची । लेकिन उसे बक्से की चाबी नहीं मिली । वह सास के कमरे में गई । उसे सास के बिस्तर के नीचे एक छोटी-सी डिबिया पड़ी मिली । उसने डिबिया खोली तो उसकी आंखें चमक उठीं ।
डिबिया में सोने के चमचमाते हुए कंगन थे । वह हैरान थी-‘आखिर ये कंगन कहां से आए ? इतने दिनों से मेरी सास ने यह बात मुझसे क्यों छिपा रखी थी । इसका मतलब यह है कि घर में सब कंजूस हैं ।’ फिर उसने कंगन अपनी साड़ी के आंचल में बांध लिए ।
सुबह होते ही रत्ना ने मायके जाने की बात कर्मा से बताई । कर्मा ने कहा- “तुम कुछ दिन और ठहर जाओ। फसल की कटाई होते ही मैं तुम्हें मायके पहुंचा दूंगा।” लेकिन वह नहीं मानी ।
किसी तरह कर्मा ने उसे मायके पहुंचा दिया । वहां रत्ना ने कंगन बेच दिए । उसके बदले में दूसरे कंगन खरीद लिए ताकि उसकी ससुराल में इस बात का पता न चले कि कंगन उसी ने लिए थे।
चार-पांच महीने के बाद रत्ना ससुराल लौटी । कर्मा ने रत्ना के हाथों में कंगन देखे तो चौंक पड़ा। उसने पूछा-“कंगन कहां से आए ?”
रत्ना ने कहा- “मेरे पिता जी ने बनवा दिए हैं।”
“मैं इस वर्ष विवाह की वर्षगांठ पर तुम्हें सोने के कंगन देना चाहता था । इसलिए कंगन बनवा भी लिए थे।” यह कहकर कर्मा ने संदूक खोला । उसने सोने के कंगन निकाले ।
रत्ना कंगन देखते ही चौंकी ये तो वही कंगन हैं जो मैंने सास के बक्से में से निकाले थे। और उन्हें सुनार को बेच दिया था । ये यहां कैसे आ गए ?’ उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। वह एकटक कर्मा को देखने लगी।
कर्मा बोला- “पड़ोस की विमला चाची ने तीर्थ यात्रा को जाते समय अपने कंगन मां के पास अमानत के रूप में रख दिए थे । हम सभी वैसे ही कंगन तुम्हारे लिए बनवाना चाहते थे । अतः हमने और भी अधिक मेहनत की ।
इस बार खूब फसल हुई । फसलों के अच्छे दाम मिले । मैंने सुनार से कंगन बनाने को कह दिया था । लेकिन इसी बीच विमला चाची के कंगन गुम हो गए । तब से हम लोग बहुत परेशान हैं । कल ही विमला चाची ने यह मामला पंचायत में ले जाने की धमकी दी है।”
यह सुन रत्ना घबरा गई। “आज ही ये कंगन सुनार ने दिए हैं । तुम कहो, तो ये कंगन विमला चाची को दे दें । मां फिर कभी तुम्हारे लिए कंगन बनवा देंगी।” -कर्मा ने कहा । इतना सुनना था कि रत्ना की आंखों में आंसू आ गए । रत्ना ने सोचा- ‘मैं नाहक घर वालों को कंगन के लिए कोसती रही ।’
वह तुरंत कर्मा के पैरों पर गिर पड़ी । उसने कहा- “मैंने बहुत बड़ी भूल की है। तुम मुझे जो चाहो, सजा दे सकते हो।” फिर उसने सारी बातें बता दी। उसका रोना सुन, उसके सास-ससुर वहां आ गए । कर्मा ने सारी घटना दोहरा दी । घर वालों ने रत्ना को माफ कर दिया।
अगले दिन रत्ना ने कर्मा द्वारा बनवाए कंगन विमला चाची को दे दिए । इससे उसके परिवार की इज्जत बच गई । उसने मायके से लाए कंगन अपनी सास को दे दिए । उसने सास से कहा- “मैं सोने के कंगन अवश्य पहनूंगी लेकिन अपनी मेहनत की कमाई से । आज से आप घर में रहेंगी और मैं काम पर बाहर जाऊंगी।”
यह सुन सास फूली न समाई । उसने प्यार – से अपने दोनों हाथ रत्ना के सिर पर रख दिए। .
(साभार-विभावरी सिन्हा)
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