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बैजनाथ- Miracle of Agar Malwa

December 19, 2022 | by storykars

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बैजनाथ महादेव का मंदिर मध्यप्रदेश के आगर मालवा क्षेत्र में स्थित है। जयपुर मार्ग पर ,बाणगंगा नदी (Banganga River) के किनारे अवस्थित, यह एक ऐतिहासिक मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा नल के शासनकाल में हुआ था ।

पूर्व में यह एक मठ हुआ करता था और इस मठ में तांत्रिक और अघोरी पूजा-पाठ और साधना किया करते थे ।

श्री बैजनाथ महादेव मंदिर उत्तर एवं दक्षिण भारतीय कलात्मक शिल्प में निर्मित मंदिर है. इस मंदिर की ऊंचाई लगभग ५० फीट है. मंदिर का शिखर चूना पत्थर से निर्मित है, जिसके अंदर और बाहर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रतिमाएँ उकेरी गई हैं ।

शिखर पर ४ फुट ऊंचा स्वर्ण कलश भी शोभित है । यह मंदिर  पूरे देश के श्रद्धालुओं  की आस्था का केंद्र है।

कहते हैं कि  पूरे भारतवर्ष में बाबा बैजनाथ का ही एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसका जीर्णोंद्धार अंग्रेज शासनकाल में  कर्नल मार्टिन की पहल पर किया गया। 

यद्यपि इस अगर मालवा के बैजनाथ महादेव मंदिर से पहले हमनें आपको दक्षिण भारत के मन्त्रालयम स्थित राघवेन्द्र स्वामी (रायरू ) और सर थॉमस मुनरो की भी कहानी बताई थी, जिसमें थॉमस मुनरो के अध्यात्मिक अनुभव के बारे में बताया है ।

 अधिक पढ़ें – Raghavendra Swamy and Sir Thomas Munro

बैजनाथ महादेव द्वारा अंग्रेज की रक्षा

वर्ष १८७९ में अंग्रेजों द्वारा अफ़गानिस्तान पर आक्रमण कर दिया गया. इस युद्ध की कमान आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन के हाथ में सौंपी गई ।

युद्ध पर अफ़गानिस्तान गए कर्नल मार्टिन अपनी कुशलता का समाचार पत्र के माध्यम से अपनी पत्नी को भेजा करते थे । ये पत्र नियमित रूप से कर्नल मार्टिन की पत्नी को मिला करते थे ।

लेकिन एक समय ऐसा आया, जब कर्नल मार्टिन की पत्नी  को उनके लिखे पत्र मिलने बंद हो गए । अपने पति के पत्र न मिलने से वो उनकी कुशलता को लेकर शंकाग्रस्त हो गई । हर समय वो अपने पति को लेकर चिंतित रहने लगी ।

एक शाम बग्गी पर बैठकर वो आगर मालवा शहर का भ्रमण कर रही थी । जब उनकी बग्गी श्री बैजनाथ महादेव मंदिर के पास से गुजरी, तो मंदिर से आ रहे शंख नाद और मंत्रोच्चार ने उनका ध्यान अपनी खींच लिया ।

मंदिर के भीतर जाकर उन्होंने देखा कि सभी पंडित भगवान शिव की आराधना में लीन हैं। पूछने पर पंडितों ने उन्हें शिव आराधना का महत्त्व बताया ।

ये भी बताया कि कैसे भगवान शिव-शंकर अपने सभी भक्तों की संकट से रक्षा करते हैं और उनकी मनोकामनायें पूर्ण करते हैं।

कर्नल मार्टिन की पत्नी ने अपनी चिंता मंदिर के पुजारियों को बताई। पुजारियों ने उन्हें लघु रुद्री अनुष्ठान करवाने का परामर्श दिया ।

इस परामर्श को मानकर कर्नल मार्टिन की पत्नि ने लघु रुद्री अनुष्ठान आरंभ करवाया और अपने पति की रक्षा हेतु भगवान शिव की आराधना करने लगी।

उसने ये भी मन्नत मांगी कि यदि कर्नल मार्टिन सकुशल युद्ध से वापस आ गए, तो वह मंदिर के शिखर का निर्माण करवायेगी ।

लघु रुद्री अनुष्ठान की पूर्णाहुति के दिन एक संदेशवाहक श्री बैजनाथ महादेव मंदिर पहुँचा और एक लिफ़ाफ़ा कर्नल मार्टिन की पत्नि को दिया ।

वह पत्र कर्नल मार्टिन का था । उसमें लिखा था : युद्ध के दौरान अफ़गानी सेना उन पर हावी होने लगी थी ब्रिटिश सैनिक एक-एक कर उनके हाथों मरने लगे थे ।

जान बचाना नामुमकिन लग रहा था, तभी युद्ध स्थल में शेर की खाल पहने और हाथों में त्रिशूल लिए एक योगी आ पहुँचे और उन्होंने अफगानियों का संहार कर उसकी रक्षा की । यह कथा मंदिर के पत्थरों पर उकेरी हुई है

कर्नल मार्टिन जब यद्ध में विजयी होकर वापस आया, तो उसकी पत्नी ने शिव आराधना की सारी बात बताई और मन्नत पूरी हो जाने के कारण दोनों ने मिलकर ११००० रुपये मंदिर के जीर्णोद्धार और शिखर निर्माण के लिए दिया।

१८८३ में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया ।  कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नि ने यह भी संकल्प लिया कि ब्रिटेन वापस जाकर वे वहाँ भी शिव आराधना करेंगे  ।

बैजनाथ महादेव भक्त बापजी

दूसरी घटना जुलाई 1931 की है । घटना के अनुसार स्थानीय वकील श्री जयनारायण उपाध्याय जिन्हें बापजी के नाम भी जाना जाता है ।

वे नियमित रूप से प्रतिदिन सुबह 5 बजे मंदिर जाते और सुबह 9 बजे तक पूजा अर्चना और ध्यान के बाद कचहरी में पैरवी के लिए जाते थे।

बापजी  महादेव  के अनन्य भक्त थे और बाबा बैजनाथ को श्रीराम कथा सुनाना उनका नित्य का नियम था ।

जुलाई 1931 में भी उस दिन बापजी दर्शन पूजन को मंदिर गए,भगवान का अभिषेक किया और कथा सुनाना शुरू किया ।

उस दिन जाने कैसा ध्यान लगा की वे कथा सुनाते ही रहे सुनाते ही रहे और उन्हें ये भान नहीं रहा की दोपहर हो आयी है कोर्ट मे केस के लिए भी जाना है ।

जब ध्यान टूटा तो पाया कि दोपहर के तीन बज गए हैं और अब तक तो कोर्ट की कार्रवाही का समापन हो गया होगा!

ठीक उसी दिन एक मुक़दमे के सिलसिले मे कोर्ट मे बहस तय थी और केस काफ़ी महत्वपूर्ण था।

अपने मुवक्किल की चिंता हुयी। मेरी भक्ति से किसी का अहित हो जाए यह भाव तो उनका कभी न था ।

वे घबराते हुए अपने साथी पंडित नानुराम (आगर गोपाल मंदिर के पुजारी) और अध्यापक रेवाशंकर के साथ कचहरी पंहुंचे।

वहां पहुंचने पर जब साथी वकील उन्हें मिलना शुरू हुए तो देखा कि जो कोई मिल रहा है वह उन्हें बधाई दिए जा रहा है ।

“वाह आज क्या गज़ब का केस लड़ा आपने!” “आज क्या अद्भुत ओज था आपकी वाणी मे!” “आज आपके चेहरे की दमक देखते ही बन रही थी!”

“भई वाह ! आज आपने क्या जोरदार पैरवी की। अपने मुवक्कील को बा-ईज्जत बरी करवा लिया। ”

यह बात उनको समझ में नहीं आई। अपनी ऐसी प्रशंसा सुनते हुए वे कोर्ट पहुँचे और अपने केस के बारे मे पूछताछ की तो कचहरी के कर्मचारी ने बताया:

“वकील साहब आज तो दोपहर मे आपने क्या गज़ब का केस लड़ा! आज जो आपने धाराप्रवाह बहस की वैसी हमने आज तक कोर्ट मे नहीं देखी !  पूरे न्यायलय का हृदय आपने जीत लिया आज !”

अपनी उपस्थिति का प्रमाण पूछने पर  कोर्ट के उपस्थिति रजिस्टर मे उस कर्मचारी ने जयनारायण जी के दोपहर के समय के हस्ताक्षर दिखा दिए।

लेकिन तसल्ली नहीं हुई !

अदालत से भी वही सवाल – कि ” क्या आपने अपनी आँखों से मुझे अदालत में देखा था ?”

न्यायाधीश मौलवी मुबारिक हसन ने कहा कि आप समय पर कोर्ट में हाजिर हुए और आपने ही पैरवी की है। एक अन्य केस की तारीख भी आपने डायरी में नोट की है।

वकील साहब समझ गए कि आज तो  उनके स्थान पर स्वयं भगवान भोलेनाथ ने उपस्थित होकर पैरवी की थी।

भक्त के रूप में स्वयं भगवान द्वारा पैरवी करने की इस चमत्कारिक घटना के बाद जयनारायण जी की भगवान बैजनाथ के प्रति अटूट आस्था और भी बढ़ गई।

इसके बाद बापजी 27 जनवरी 1932 को डॉ. गोपीकिशन खण्डेलवाल की बारात में गए और वहीं से श्री रतलाम स्थित धोंसवास पहुंचकर अपने गुरू नित्यानंद बापजी की शरण में चले गए और 26 अक्टूबर 1945 को उन्होंने वहां महासमाधि ले ली।

तभी से वकील साहब छोटे बापजी के नाम से प्रसिद्ध हुए। बापजी के साथ हुए इस चमत्कारिक घटना के चलते संगमरमर से निर्मित बापजी की आदमकद ध्यानमग्न प्रतिमा बाबा बैजनाथ मंदिर के गर्भगृह के सामने स्थापित की गई है।

कहते हैं कि साल 1997 मे जयनारायण जी के पुश्तैनी मकान मे भीषण आग लग गयी और पूरा मकान जल गया, केवल वो कोर्ट केस की डायरी और जिस अलमारी मे वो डायरी रखी थी वो एकदम सही सुरक्षित पायी गयी।

आगर मालवा जाएं और बाबा बैजनाथ के दर्शनों का सौभाग्य मिले तो आपको दिखेगा की जयनारायण जी की एक प्रतिमा मानस पाठ करते हुए मंदिर के ठीक बाहर स्थापित की गयी है।

आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ मंदिर चमत्कारिक घटनाओं के लिए जाना जाता है । बाबा बैजनाथ के प्रति आस्था रखने वाले देश भर में फैले हुए हैं ।यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं ।

 

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